स्मार्टफ़ोन पर मैलवेयर या वायरस का ख़तरा हमेशा मंडराता रहता है. उसपर किसी के बारे में इतनी जानकारी होती है कि हैकरों की नज़र घूम फिर कर उन्हीं पर पड़ जाती है.
ट्रोजन वायरस सबसे ख़तरनाक तरह का वायरस होता है जो स्मार्टफ़ोन के एक कोने में छुप कर बैठा रहता है और चुपचाप जानकारी भेजता रहता है.
ट्रोजन वायरस आपके सिस्टम या आपकी जानकारी पर पहले कब्ज़ा करता है और उसके बाद स्मार्टफ़ोन, टैबलेट या कंप्यूटर से जानकारी धीरे-धीरे उस कंप्यूटर तक पहुंचाता है जिसके लिए उसे प्रोग्राम किया गया है.
कई बार पोर्न वेबसाइट से ऐसे ट्रोजन डिवाइस पर आ जाते हैं. इससे बचने के कुछ आसान तरीक़ो हैं जिनपर ज़रूर ध्यान देना चाहिए.
जो भी ऐप डाउनलोड करते हैं वो सिर्फ जानी-मानी कंपनी का ही होनी चाहिए. डाउनलोड करने के पहले एक बार ऐप बनाने वाली कंपनी के बारे में थोड़ा पढ़ लीजिये और थोड़ा गूगल सर्च भी कर लीजिये. अगर उन्होंने कुछ और ऐप भी बनाए हैं तो बहुत बढ़िया. उनके रिव्यू से आपको कंपनी और उसके प्रोडक्ट के बारे में थोड़ी जानकारी ज़रूर मिल जाएगी.
गूगल प्ले स्टोर पर ऐप का रिव्यू ज़रूर पढ़िए. कोई ज़रूरी नहीं है कि चार या पांच सितारा वाली रेटिंग देख कर ऐप को ज़रूर डाउनलोड कर लेना चाहिए. गूगल प्ले स्टोर पर रिव्यू लिखने वाले वो लोग होंगे जिन्होंने ऐप का इस्तेमाल किया है और उनके शब्द आपके लिए बहुत काम के हो सकते हैं.
अगर कुछ लोगों ने प्रोडक्ट को ख़राब कहा है तो कंपनी ने उस बारे में क्या जवाब दिया है उससे भी कंपनी के बारे में पता चलता है.
कोई भी ऐप स्मार्टफोन से जो भी जानकारी लेने की इजाज़त मांगता है उससे भी ऐप के बारे में पता चलता है. अगर आप कोई अलार्म ऐप डाउनलोड करना चाहते हैं तो उसे स्मार्टफ़ोन पर तस्वीरें देखने की इजाज़त तो नहीं चाहिए होगी.
उसी तरह कैलकुलेटर वाले ऐप को नेटवर्क एक्सेस की ज़रुरत बिलकुल नहीं होनी चाहिए. ऐसा देखते ही आपको सावधान हो जाना चाहिए.
कई लोगों का मानना है कि ऐप्पल और गूगल के प्ले स्टोर के अलावा दूसरे प्ले स्टोर से ऐप नहीं डाउनलोड करना चाहिए. ऐसे डाउनलोड से ट्रोजन या दूसरे तरह के वायरस स्मार्टफोन या टैबलेट में आ सकते हैं.
लेकिन ये बात सौ आने सच नहीं मानी जा सकती है. हां, सिक्योरिटी सॉफ्टवेर इस्तेमाल करने से ऐसा या दूसरा कोई ख़तरा बहुत कम हो जाता है. दूसरे प्ले स्टोर से ऐप डाउनलोड करने से ख़तरा तो होता ही है.